भारत-EFTA मुक्त व्यापार समझौता:
विस्तृत वर्णन
ईएफटीए का परिचय
यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) एक क्षेत्रीय व्यापार संगठन है, जो यूरोप के चार गैर-यूरोपीय संघ देशों द्वारा गठित किया गया है। ये देश हैं: स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, और लिकटेंस्टीन। ईएफटीए का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना और अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना है। भारत के साथ हाल ही में हस्ताक्षरित व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 1 अक्टूबर, 2025 से लागू होगा।
समझौते का विस्तृत विवरण
- उद्देश्य: यह समझौता भारत और ईएफटीए देशों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करने, सीमा शुल्क में छूट प्रदान करने, और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए बनाया गया है।
- हस्ताक्षर समारोह: नई दिल्ली में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जो भारत की व्यापारिक कूटनीति में एक ऐतिहासिक क्षण है।
- प्रमुख क्षेत्र: समझौता वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, और बौद्धिक संपदा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा।
ईएफटीए देशों की भूमिका
- स्विट्जरलैंड: वित्तीय सेवाओं, घड़ी निर्माण, और फार्मास्यूटिकल्स में विश्व नेता। भारत के साथ व्यापार में स्विस प्रौद्योगिकी और निवेश महत्वपूर्ण होंगे।
- नॉर्वे: समुद्री उत्पादों, ऊर्जा, और शिपिंग में विशेषज्ञता। भारत के साथ नवीकरणीय ऊर्जा और मत्स्य पालन में सहयोग बढ़ेगा।
- आइसलैंड: नवीकरणीय ऊर्जा और मत्स्य पालन में मजबूत। यह भारत के लिए समुद्री व्यापार के नए अवसर खोलेगा।
- लिकटेंस्टीन: छोटा लेकिन वित्तीय सेवाओं और उच्च तकनीक उद्योगों में सक्रिय। यह भारत के साथ निवेश साझेदारी को बढ़ावा देगा।
अपेक्षित लाभ
- व्यापार वृद्धि: भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से कृषि, वस्त्र, और रसायन क्षेत्र में, ईएफटीए देशों में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी।
- निवेश प्रवाह: ईएफटीए देशों से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि होगी, खासकर प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, और बुनियादी ढांचे में।
- रोजगार सृजन: समझौता भारत में नए रोजगार अवसर पैदा करेगा, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए।
- तकनीकी सहयोग: ईएफटीए देशों की उन्नत तकनीक भारत के नवाचार और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध करेगी।
कार्यान्वयन और भविष्य
- 1 अक्टूबर, 2025: इस तारीख से समझौता प्रभावी होगा, जिसके लिए दोनों पक्ष प्रशासनिक और कानूनी तैयारियां पूरी कर रहे हैं।
- दीर्घकालिक प्रभाव: यह समझौता भारत को वैश्विक व्यापार में एक मजबूत स्थिति प्रदान करेगा और ईएफटीए देशों के साथ गहरे आर्थिक संबंध स्थापित करेगा।
यह समझौता भारत के लिए वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत करने और आर्थिक विकास को गति देने का एक सुनहरा अवसर है। ईएफटीए देशों के साथ यह साझेदारी न केवल व्यापार को बढ़ावा देगी, बल्कि दोनों पक्षों के बीच सांस्कृतिक और तकनीकी आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित करेगी।