15वां वित्त आयोग:
विश्लेषण और तथ्यात्मक विवरण
परिचय
15वां वित्त आयोग भारत का एक संवैधानिक निकाय है, जिसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा गठित किया गया था। इसका गठन 27 नवंबर, 2017 को हुआ और इसका नेतृत्व श्री एन.के. सिंह ने किया। इस आयोग का मुख्य उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच करों और संसाधनों के वितरण, राज्यों के बीच संसाधनों के आवंटन, और राजकोषीय नीतियों के लिए सिफारिशें करना था। यह आयोग 2020-21 से 2025-26 की अवधि के लिए सिफारिशें प्रदान करता है।
प्रमुख सिफारिशें
15वें वित्त आयोग ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं, जो भारत के राजकोषीय ढांचे को मजबूत करने और केंद्र-राज्य संबंधों को संतुलित करने में महत्वपूर्ण हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख सिफारिशें हैं:
- कर हस्तांतरण: आयोग ने सुझाव दिया कि केंद्र के करों में राज्यों की हिस्सेदारी 41% होनी चाहिए। यह 14वें वित्त आयोग की 42% की सिफारिश से 1% कम है, क्योंकि जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के कारण समायोजन किया गया।
- राजस्व घाटा अनुदान: 2020-21 में 14 राज्यों के लिए कुल 74,340 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की सिफारिश की गई, ताकि राज्यों को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद मिले।
- स्थानीय निकायों के लिए अनुदान: ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 2,36,805 करोड़ रुपये की सिफारिश की गई, ताकि पंचायती राज संस्थानों को सशक्त किया जा सके।
- राजकोषीय रोडमैप: केंद्र को 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4% तक कम करने और राज्यों के लिए 2021-22 में 4% की राजकोषीय घाटे की सीमा निर्धारित करने की सलाह दी गई।
- विशेष प्रावधान: छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पेसा (PESA) क्षेत्रों और चरम वामपंथ प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष वित्तीय प्रावधान की सिफारिश की गई।
तथ्यात्मक विवरण
15वें वित्त आयोग ने निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया:
- महामारी के दौरान संसाधन उपलब्धता: कोविड-19 महामारी के दौरान राज्यों को संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 41% हिस्सेदारी को बनाए रखने की सिफारिश की गई।
- राज्य-विशिष्ट विश्लेषण: प्रत्येक राज्य की वित्तीय स्थिति का गहन विश्लेषण किया गया और उनकी विशिष्ट चुनौतियों के समाधान के लिए सुझाव दिए गए।
- बिजली क्षेत्र सुधार: राज्यों को बिजली क्षेत्र में सुधार करने पर अतिरिक्त प्रोत्साहन अनुदान की सिफारिश की गई।
- उपकर और अधिभार: केंद्र द्वारा लगाए गए उपकर और अधिभार पर कानूनी अध्ययन की सिफारिश की गई, क्योंकि इनका हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता।
UPSC 2025 प्रारंभिक परीक्षा में पूछा गया प्रश्न
प्रश्न: 15वें वित्त आयोग ने केंद्र के करों में राज्यों की हिस्सेदारी के लिए क्या सिफारिश की थी?
विकल्प:
- 40%
- 41%
- 42%
- 43%
उत्तर: विकल्प B: 41%
विश्लेषण: 15वें वित्त आयोग ने सिफारिश की थी कि केंद्र के करों में राज्यों की हिस्सेदारी 41% होनी चाहिए। यह 14वें वित्त आयोग की सिफारिश (42%) से 1% कम है, क्योंकि जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के कारण समायोजन किया गया था।
विश्लेषण
15वें वित्त आयोग की सिफारिशें केंद्र और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंधों को संतुलित करने में महत्वपूर्ण हैं। 41% कर हिस्सेदारी की सिफारिश ने राज्यों को पर्याप्त संसाधन प्रदान किए, खासकर महामारी के दौरान। हालांकि, 1% की कमी ने कुछ राज्यों में असंतोष पैदा किया। राजस्व घाटा अनुदान और स्थानीय निकायों के लिए आवंटन ने ग्रामीण और शहरी विकास को बढ़ावा देने में मदद की।
आयोग का राजकोषीय घाटे को कम करने का रोडमैप दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन राज्यों के लिए 4% की सीमा को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर उन राज्यों में जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
कुल मिलाकर, 15वां वित्त आयोग सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी सिफारिशें न केवल आर्थिक संसाधनों के वितरण को संतुलित करती हैं, बल्कि राज्यों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार नीतियां बनाने में भी मदद करती हैं।
निष्कर्ष
15वां वित्त आयोग भारत के राजकोषीय ढांचे को मजबूत करने और केंद्र-राज्य संबंधों को संतुलित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसकी सिफारिशें दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता, स्थानीय निकायों को सशक्तिकरण, और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में योगदान देती हैं।