मानसून(Monsoon)
कुंजी बिंदु:
- मानसून एक मौसमी हवा का पैटर्न है जो गीले और सूखे मौसम लाता है।
- यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूमि और समुद्र के तापमान अंतर से उत्पन्न होता है।
- शोध सुझाव देता है कि यह कृषि और जल संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन जलवायु परिवर्तन से इसकी अनिश्चितता बढ़ रही है।
परिभाषा:
मानसून एक मौसमी हवा प्रणाली है जो गर्मियों में नम हवाओं को लाकर भारी वर्षा लाता है और सर्दियों में सूखे मौसम का कारण बनता है। यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों, जैसे भारत, दक्षिण एशिया, और अफ्रीका में देखा जाता है।
मानसून एक मौसमी हवा प्रणाली है जो दक्षिण एशिया के जलवायु को प्रभावित करती है।
कारण: यह भूमि और समुद्र के तापमान में अंतर के कारण होता है। गर्मियों में, भूमि तेजी से गर्म होकर निम्न दबाव बनाती है, जिससे समुद्र से नमी युक्त हवाएँ आकर्षित होती हैं। सर्दियों में, भूमि ठंडी होकर उच्च दबाव बनाती है, जिससे हवाएँ उलटी दिशा में बहती हैं।
महत्व: मानसून भारत में 70-80% वार्षिक वर्षा लाता है, जो कृषि, जल संसाधनों, और अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है। यह त्योहारों और सांस्कृतिक परंपराओं से भी जुड़ा है।
मानसून के प्रमुख पहलू
नीचे दी गई तालिका मानसून के विभिन्न पहलुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करती है:
पहलू | विवरण |
---|---|
परिभाषा | मौसमी हवा पैटर्न, गीले और सूखे मौसम लाता है। |
कारण | भूमि और समुद्र के तापमान अंतर, ITCZ की दोलन। |
क्षेत्र | दक्षिण एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका। |
महत्व | कृषि, जल संसाधन, अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण। |
जलवायु परिवर्तन | अनिश्चितता बढ़ रही है, चरम मौसम की घटनाएं। |
यूपीएससी मेन्स में मानसून से संबंधित प्रश्नों का विश्लेषण
यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में मानसून से संबंधित प्रश्न भूगोल (GS Paper 1) और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव (GS Paper 3) के संदर्भ में अक्सर पूछे जाते हैं। यह विश्लेषण पिछले वर्षों के प्रश्नों (PYQs), टॉपर्स के नोट्स, और कोचिंग संसाधनों पर आधारित है, जो उम्मीदवारों को इस विषय की गहरी समझ प्रदान करता है।
1. मानसून से संबंधित प्रश्नों का स्वरूप
मानसून से संबंधित प्रश्न सामान्यतः निम्नलिखित थीम्स पर आधारित होते हैं:
- मानसून की उत्पत्ति और तंत्र: दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मानसून की उत्पत्ति, ITCZ (Inter-Tropical Convergence Zone), जेट स्ट्रीम्स (जैसे सोमाली जेट), और दबाव क्षेत्रों की भूमिका।
- सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: कृषि, जल संसाधनों, और अर्थव्यवस्था पर मानसून का प्रभाव।
- उदाहरण: 2020 में पूछा गया, "भारत में सामाजिक-आर्थिक जीवन पर मानसून के प्रभाव को स्पष्ट करें।"
- जलवायु परिवर्तन और मानसून: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की अनियमितता और इसके प्रभाव।
- क्षेत्रीय विविधताएँ: भारत में मानसून की क्षेत्रीय विभिन्नताएँ और सांस्कृतिक प्रभाव, जैसे भोजपुर क्षेत्र में 'पुरवैया'।
2. पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs)
यूपीएससी मेन्स में मानसून से संबंधित प्रश्न (2010-2024)
प्रश्नों की सूची (हिंदी और अंग्रेजी)
पिछले 15 वर्षों में यूपीएससी मेन्स में मानसून से संबंधित प्रश्न मुख्यतः GS पेपर 1 (भूगोल) और GS पेपर 3 (पर्यावरण और अर्थव्यवस्था) में पूछे गए हैं।
नीचे प्रमुख प्रश्नों की सूची दी गई है:
- 2013:
हिंदी: "भारतीय मानसून की उत्पत्ति और तंत्र को समझाइए।"
English: "Explain the origin and mechanism of the Indian monsoon." - 2015:
हिंदी: "जेट स्ट्रीम्स भारतीय मानसून को कैसे प्रभावित करते हैं?"
English: "How do jet streams influence the Indian monsoon?" - 2018:
हिंदी: "भारत में मानसून की अनियमितता के कारण और प्रभाव क्या हैं?"
English: "What are the causes and impacts of monsoon irregularity in India?" - 2020:
हिंदी: "भारत के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर मानसून के प्रभाव को स्पष्ट करें।"
English: "Elucidate the impact of the monsoon on India’s socio-economic life." - 2023:
हिंदी: "जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भारतीय मानसून की बदलती प्रकृति पर चर्चा करें।"
English: "Discuss the changing nature of the Indian monsoon in the context of climate change."
- 2024: क्षेत्रीय विविधताओं और सांस्कृतिक प्रभाव पर जोर, जैसे भोजपुरी क्षेत्र में मानसून का महत्व स्पष्ट किजिए ? (2024)
विश्लेषण
मानसून से संबंधित प्रश्नों के रुझान निम्नलिखित हैं:
- तंत्र और उत्पत्ति: 2010-2015 में मानसून की उत्पत्ति, जेट स्ट्रीम्स, और ITCZ पर प्रश्न प्रमुख थे।
- सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: 2016-2020 में कृषि, जल संसाधन, और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पर जोर।
- जलवायु परिवर्तन: 2020-2024 में अनियमितता और चरम मौसम की घटनाओं पर प्रश्न बढ़े।
टॉपर्स के नोट्स (जैसे मौर्य भारद्वाज, AIR 21, CSE 2021) के अनुसार, पिछले 10-12 वर्षों के PYQs को विश्लेषण करना और उनके आधार पर उत्तर लेखन का अभ्यास करना अत्यंत प्रभावी है।
3. महत्वपूर्ण कारक जो मानसून को प्रभावित करते हैं
मानसून को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं, जो यूपीएससी प्रश्नों में बार-बार पूछे जाते हैं:
भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले कारक
1. ENSO (एल नीनो और ला नीना): एल नीनो कमजोर मानसून का कारण बनता है, जबकि ला नीना सामान्य या अधिक वर्षा लाता है।
2. IOD (Indian Ocean Dipole): सकारात्मक IOD अधिक वर्षा को बढ़ावा देता है।
3. MJO (Madden-Julian Oscillation): पूर्व की ओर बढ़ने वाली गड़बड़ी जो मानसून की तीव्रता को प्रभावित करती है।
4. ITCZ का स्थानांतरण: मानसून ट्रफ की स्थिति वर्षा के वितरण को निर्धारित करती है।
5. जलवायु परिवर्तन: अनियमित और तीव्र जेट स्ट्रीम्स के कारण चरम मौसम की घटनाएँ।
मानसून को प्रभावित करने वाले कारकों का विश्लेषण
भारतीय मानसून एक जटिल प्रणाली है, जो विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय कारकों से प्रभावित होती है। निम्नलिखित पाँच कारकों का तथ्यात्मक विश्लेषण प्रस्तुत है, जो यूपीएससी मेन्स के लिए उपयोगी है।
विश्लेषण
1. ENSO (एल नीनो और ला नीना): एल नीनो प्रशांत महासागर में गर्म सतह जल के कारण कमजोर मानसून लाता है, जैसे 2015 में 14% कम वर्षा (IMD डेटा)। ला नीना ठंडे जल से सामान्य या अधिक वर्षा सुनिश्चित करता है, जैसे 2020 में 9% अतिरिक्त वर्षा।
2. IOD (Indian Ocean Dipole): सकारात्मक IOD (पश्चिमी हिंद महासागर का गर्म होना) अधिक वर्षा को बढ़ावा देता है, जैसे 1994 में 10% अतिरिक्त वर्षा। नकारात्मक IOD सूखे का कारण बनता है (NOAA)।
3. MJO (Madden-Julian Oscillation): यह 30-60 दिन की चक्रीय गड़बड़ी है, जो पूर्व की ओर बढ़ती है और मानसून की तीव्रता को प्रभावित करती है। सक्रिय MJO भारत में भारी वर्षा को बढ़ाता है (टॉपर्स नोट्स, श्रुति शर्मा, AIR 1, 2021)।
4. ITCZ का स्थानांतरण: अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) का उत्तर की ओर खिसकना मानसून ट्रफ को सक्रिय करता है, जो वर्षा वितरण को नियंत्रित करता है। असामान्य स्थानांतरण से अनियमित वर्षा होती है।
5. जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग से जेट स्ट्रीम्स की अनियमितता बढ़ती है, जिससे चरम मौसम की घटनाएँ, जैसे 2019 की बाढ़ (30 लाख हेक्टेयर फसल नुकसान), अधिक होती हैं।
4. सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
मानसून भारत के सामाजिक-आर्थिक जीवन का आधार है। इसके प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- कृषि: भारत की 64% आबादी कृषि पर निर्भर है, और मानसून की समयबद्धता और मात्रा फसल उत्पादन को प्रभावित करती है।
- जल संसाधन: मानसून नदियों, बांधों, और जलभरों को रिचार्ज करता है, जो जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
- सांस्कृतिक विविधता: क्षेत्रीय मानसून विविधताएँ भोजन, परिधान, और त्योहारों (जैसे तीज, छठ पूजा) को प्रभावित करती हैं।
- चुनौतियाँ: अनियमित मानसून के कारण सूखा, बाढ़, और मृदा अपरदन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
5. तैयारी की रणनीति
मानसून से संबंधित प्रश्नों की तैयारी के लिए निम्नलिखित रणनीति अपनाएँ:
- NCERT और मानक पुस्तकें: NCERT भूगोल (कक्षा 11-12) और GC लियोंग की "Certificate Physical and Human Geography" पढ़ें।
- करेंट अफेयर्स: The Hindu, PIB, और Yojana से जलवायु परिवर्तन और मानसून से संबंधित लेख पढ़ें।
- टॉपर्स नोट्स: Vision IAS, TheIAShub, और Unacademy के टॉपर्स नोट्स डाउनलोड करें।
- उत्तर लेखन अभ्यास: रोजाना 2-3 PYQs के उत्तर लिखें। डायग्राम, बुलेट पॉइंट्स, और कीवर्ड्स का उपयोग करें।
6. निष्कर्ष
मानसून यूपीएससी मेन्स में एक महत्वपूर्ण विषय है, जो भूगोल, पर्यावरण, और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों से जुड़ा है। PYQs का विश्लेषण, टॉपर्स के नोट्स, और कोचिंग संसाधनों का उपयोग करके उम्मीदवार इस विषय पर मजबूत पकड़ बना सकते हैं। नियमित अभ्यास, डायग्राम का उपयोग, और करेंट अफेयर्स के साथ एकीकरण से उत्तर लेखन में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है।
PYQ : Questions View:
2020:
मानसून की अनियमितता भारत की कृषि पर कैसे प्रभाव डालती है?
मानसून की अनियमितता का भारत की कृषि पर प्रभाव
परिचय
भारत की कृषि अर्थव्यवस्था मानसून पर निर्भर है, क्योंकि 60% से अधिक कृषि योग्य भूमि वर्षा आधारित है। मानसून की अनियमितता, जैसे देरी, अपर्याप्त वर्षा, या अत्यधिक वर्षा, कृषि उत्पादकता और ग्रामीण आजीविका को गहराई से प्रभावित करती है।
मुख्य प्रभाव
- फसल उत्पादन में कमी: एल नीनो के कारण कमजोर मानसून (जैसे 2015 में 14% वर्षा की कमी) से धान, गेहूँ, और दलहन की पैदावार में 10-15% की गिरावट।
- सूखा और बाढ़: 2009 के सूखे ने 23% कृषि क्षेत्र को प्रभावित किया, जबकि 2019 की बाढ़ ने बिहार और असम में 30 लाख हेक्टेयर फसलों को नष्ट किया।
- किसानों की आय: टॉपर्स (शुभम कुमार, AIR 1, 2020) के नोट्स के अनुसार, अनियमित मानसून से किसानों की आय में 20-30% की कमी आती है।
- खाद्य सुरक्षा: अनाज उत्पादन में कमी से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ती है (2014 में 7% की वृद्धि)।
निष्कर्ष
मानसून की अनियमितता भारत की कृषि स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती है। शोध सुझाव देते हैं कि जल संचयन, सूखा-प्रतिरोधी बीज, और फसल बीमा जैसे उपाय इस प्रभाव को कम कर सकते हैं। नीति निर्माताओं को जलवायु अनुकूलन और सतत कृषि पर ध्यान देना चाहिए।
Q 2. भारतीय मानसून पर जेट स्ट्रीम्स का प्रभाव ? चर्चा कीजिए |
भारतीय मानसून पर जेट स्ट्रीम्स का प्रभाव
परिचय
जेट स्ट्रीम्स, उच्च ऊँचाई पर तेजी से बहने वाली हवाएँ, भारतीय मानसून की तीव्रता और समयबद्धता को प्रभावित करती हैं। ये उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में दबाव और तापमान के अंतर को नियंत्रित करती हैं, जो मानसून की गतिशीलता का आधार हैं।
प्रमुख प्रभाव
- उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम (STJ): सर्दियों में STJ का दक्षिण की ओर खिसकना पश्चिमी विक्षोभ लाता है, जो उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा का कारण बनता है (IMD डेटा: 5-10% शीतकालीन वर्षा)।
- ट्रॉपिकल ईस्टरली जेट (TEJ): गर्मियों में TEJ की स्थिति मानसून ट्रफ को मजबूत करती है, जिससे दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा बढ़ती है (1979 में TEJ की सक्रियता से 12% अधिक वर्षा)।
- जलवायु परिवर्तन: अनियमित जेट स्ट्रीम्स के कारण चरम मौसम की घटनाएँ, जैसे 2018 की केरल बाढ़ (40% अतिरिक्त वर्षा), बढ़ रही हैं।
- सोमाली जेट: अरब सागर में निम्न-स्तरीय जेट मानसून की शुरुआत और तीव्रता को नियंत्रित करता है।
निष्कर्ष
जेट स्ट्रीम्स भारतीय मानसून की गतिशीलता का आधार हैं।
Q 1- भारतीय मानसून की उत्पत्ति और तंत्र को समझाइए ? (2013)
परिचय
भारतीय मानसून एक जटिल जलवायु प्रणाली है, जो भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था का आधार है। यह दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी मानसून के रूप में वर्षा लाता है, जो ITCZ और तापीय दबाव के अंतर से उत्पन्न होता है।
उत्पत्ति
मानसून की उत्पत्ति अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) के ग्रीष्मकाल में उत्तर की ओर खिसकने से होती है। तिब्बती पठार का गर्म होना निम्न दबाव क्षेत्र बनाता है, जो दक्षिण-पश्चिमी हवाओं को आकर्षित करता है। IMD डेटा: मानसून जून-सितंबर में 88 सेमी औसत वर्षा लाता है।
तंत्र
- ITCZ और दबाव अंतर: गर्मी में ITCZ का उत्तर की ओर खिसकना और हिंद महासागर से नम हवाएँ मानसून ट्रफ को सक्रिय करती हैं।
- सोमाली जेट: अरब सागर में निम्न-स्तरीय जेट हवाएँ मानसून की शुरुआत को तेज करती हैं।
- ट्रॉपिकल ईस्टरली जेट (TEJ): उच्च ऊँचाई पर यह जेट वर्षा की तीव्रता बढ़ाता है, जैसे 1979 में 12% अतिरिक्त वर्षा।
- ENSO और IOD: एल नीनो कमजोर मानसून (2015 में 14% कम वर्षा) और सकारात्मक IOD अधिक वर्षा (1994 में 10% अधिक) लाता है।चित्र: ITCZ, सोमाली जेट, और TEJ का मानसून पर प्रभाव।
निष्कर्ष
भारतीय मानसून की उत्पत्ति और तंत्र ITCZ, जेट स्ट्रीम्स, और वैश्विक कारकों (ENSO, IOD) पर निर्भर हैं। जलवायु परिवर्तन से इसकी अनियमितता बढ़ रही है।
Q3- भारत में मानसून की अनियमितता के कारण और प्रभाव क्या हैं? 2018
परिचय
भारतीय मानसून की अनियमितता, जैसे देरी, अपर्याप्त या अत्यधिक वर्षा, भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित करती है। यह जलवायु परिवर्तन और वैश्विक मौसम पैटर्न से प्रभावित है।
कारण
- एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO): एल नीनो कमजोर मानसून का कारण बनता है, जैसे 2015 में 14% कम वर्षा (IMD डेटा)।
- हिंद महासागर डायपोल (IOD): नकारात्मक IOD सूखे की स्थिति पैदा करता है, जैसे 2002 में 19% वर्षा की कमी (NOAA)।
- जलवायु परिवर्तन: जेट स्ट्रीम्स की अनियमितता और ग्लोबल वार्मिंग चरम मौसम की घटनाएँ बढ़ाते हैं।
- ITCZ का असामान्य स्थानांतरण: मानसून ट्रफ की गड़बड़ी वर्षा के वितरण को प्रभावित करती है।
प्रभाव
- कृषि पर प्रभाव: 2009 के सूखे ने 23% कृषि क्षेत्र को प्रभावित किया, जिससे धान और गेहूँ की पैदावार में 10-15% कमी आई।
- बाढ़: 2019 की बाढ़ ने बिहार और असम में 30 लाख हेक्टेयर फसलों को नष्ट किया।
- आर्थिक नुकसान: अनियमित मानसून से किसानों की आय में 20-30% कमी!
- खाद्य सुरक्षा: खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि, जैसे 2014 में 7% की वृद्धि।
निष्कर्ष
मानसून की अनियमितता भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है। जल संचयन, सूखा-प्रतिरोधी बीज, और जलवायु अनुकूलन नीतियाँ इसके प्रभाव को कम कर सकती हैं।
Q4 भारत के सामाजिक-आर्थिक जीवन पर मानसून के प्रभाव को स्पष्ट करें? (2020)
परिचय
भारतीय मानसून देश के सामाजिक और आर्थिक जीवन का आधार है, क्योंकि यह कृषि, जल संसाधन, और ऊर्जा उत्पादन को सीधे प्रभावित करता है। मानसून की समयबद्धता और मात्रा भारत की 60% वर्षा-आधारित कृषि पर निर्भर करती है।
सामाजिक प्रभाव
- सांस्कृतिक महत्व: मानसून त्योहारों (जैसे तीज, छठ पूजा) और ग्रामीण जीवनशैली का केंद्र है।
- ग्रामीण आजीविका: कृषि पर निर्भर 64% आबादी के लिए मानसून आय का मुख्य स्रोत है।
- पलायन: सूखा या बाढ़ के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी पलायन बढ़ता है, जैसे 2009 के सूखे में 10 लाख लोग पलायन (कृषि मंत्रालय)।
- स्वास्थ्य: अत्यधिक वर्षा से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियाँ बढ़ती हैं।
आर्थिक प्रभाव
- कृषि उत्पादन: मानसून की अनियमितता से फसल उत्पादन में कमी, जैसे 2015 में 14% कम वर्षा से धान की पैदावार में 10% गिरावट (IMD)।
- जल संसाधन: मानसून नदियों और बांधों को रिचार्ज करता है, जो जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। 60% जलविद्युत क्षमता मानसून पर निर्भर है।
- खाद्य सुरक्षा: अनियमित मानसून से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ती है, जैसे 2014 में 7% वृद्धि।
- GDP पर प्रभाव: कृषि GDP में मानसून की भूमिका, जैसे 2019 में सामान्य मानसून से कृषि वृद्धि 2.8% रही।
मानसून भारत के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने का अभिन्न अंग है। इसकी अनियमितता से कृषि, जल, और ऊर्जा सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जल संचयन, सूखा-प्रतिरोधी बीज, और जलवायु अनुकूलन नीतियाँ आवश्यक हैं।
Q5- जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भारतीय मानसून की बदलती प्रकृति पर चर्चा करें? (2023)
परिचय
भारतीय मानसून देश की कृषि, जल संसाधन और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है और लगभग 70-80% वार्षिक वर्षा प्रदान करता है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की प्रकृति में परिवर्तन हो रहा है, जो इसके समय, तीव्रता और वितरण को प्रभावित कर रहा है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
- मानसून का विलंब: बढ़ते तापमान और बदलते वायुमंडलीय पैटर्न के कारण मानसून का आगमन देरी से हो रहा है। उदाहरण के लिए, 2019 में मानसून एक सप्ताह देर से आया (IMD डेटा)।
- अनियमित वर्षा: वर्षा का वितरण असमान हो गया है। 2020 में भारत में 9% अतिरिक्त वर्षा हुई, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सूखा रहा।
- चरम मौसम: भारी वर्षा और सूखे की घटनाएँ बढ़ी हैं। 2018 की केरल बाढ़ में 40% अधिक वर्षा हुई, जबकि 2015 में सूखे से 14% कम वर्षा दर्ज की गई।
- ENSO और IOD का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन ने एल नीनो और इंडियन ओशन डायपोल (IOD) को प्रभावित किया है, जिससे मानसून की भविष्यवाणी जटिल हो गई है (IPCC 2021)।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
- कृषि पर असर: अनियमित वर्षा से फसल चक्र बाधित हो रहा है। 2015 के सूखे में धान उत्पादन में 10% कमी आई।
- जल संकट: सूखे से जलाशयों का स्तर घट रहा है, जिससे सिंचाई और पेयजल प्रभावित हो रहा है।
- आर्थिक क्षति: बाढ़ और सूखे से बुनियादी ढांचे और फसलों को नुकसान हुआ, जैसे 2019 में 30 लाख हेक्टेयर फसल नष्ट हुई।
अनुकूलन रणनीतियाँ
- जल प्रबंधन: वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देना।
- कृषि नवाचार: सूखा-प्रतिरोधी फसलों और स्मार्ट सिंचाई तकनीकों का उपयोग।
- मौसम पूर्वानुमान: उन्नत तकनीक से मानसून की सटीक भविष्यवाणी और आपदा तैयारी।
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन भारतीय मानसून को अनिश्चित और अप्रत्याशित बना रहा है, जिसका प्रभाव व्यापक है। इसके लिए सतत विकास, नीतिगत हस्तक्षेप और सामुदायिक जागरूकता आवश्यक है ताकि भारत इस चुनौती का सामना कर सके।
- Q6- क्षेत्रीय विविधताओं और सांस्कृतिक प्रभाव पर जोर,जैसे भोजपुरी क्षेत्र में मानसून का महत्व स्पष्ट किजिए ?(2024)
क्षेत्रीय विविधताओं और सांस्कृतिक प्रभाव पर मानसून का महत्व
परिचय
भारत में मानसून की क्षेत्रीय विविधताएँ और सांस्कृतिक प्रभाव इसकी बहुआयामी पहचान को दर्शाते हैं। भोजपुरी क्षेत्र में यह कृषि और संस्कृति का आधार है।
क्षेत्रीय विविधताएँ
- भोजपुरी क्षेत्र (बिहार, यूपी) में मानसून 100-150 सेमी वर्षा लाता है, जो धान की खेती के लिए उपयुक्त है।
- मानसून जून में आता है, पर जलवायु परिवर्तन से 5-7 दिन की देरी देखी जा रही है।
- अनियमितता से प्रभाव: 2019 में बाढ़ से 10 लाख हेक्टेयर फसलें नष्ट हुईं, 2015 के सूखे से 20% उत्पादन घटा।
सांस्कृतिक प्रभाव
- कजरी तीज और छठ पूजा मानसून से जुड़े त्योहार हैं, जो समृद्धि का प्रतीक हैं।
- भोजपुरी लोक गीतों में पुरवैया और वर्षा का भावनात्मक चित्रण मिलता है।
- कृषि चक्र और परंपराएँ मानसून पर निर्भर हैं।
निष्कर्ष
भोजपुरी क्षेत्र में मानसून कृषि जीवन और सांस्कृतिक धरोहर का मूल है। जलवायु परिवर्तन से चुनौतियाँ बढ़ी हैं, जिसके लिए सतत उपाय जरूरी हैं।
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जलवायु और मानसून अध्ययन करने वाली संस्थाएं
1. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
विवरण: भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) भारत में मौसम और मानसून के पूर्वानुमान, विश्लेषण और डेटा संग्रह का प्रमुख संगठन है। यह मानसून की वर्षा, तापमान और अन्य मौसमी पैरामीटर्स की निगरानी करता है। IMD पूरे भारत को 35 उपमंडलों में बांटकर दैनिक और साप्ताहिक डेटा एकत्र करता है और मानसून की भविष्यवाणी करता है।
महत्वपूर्ण कार्य: दीर्घकालिक औसत वर्षा (LPA) की गणना, मानसून की शुरुआत और प्रगति की घोषणा, और आपदा प्रबंधन के लिए मौसम चेतावनियां जारी करना।
वेबसाइट: www.imdpune.gov.in
2. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)
विवरण: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) मानसून, जलवायु परिवर्तन, समुद्री स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप और सुनामी के पूर्वानुमान के लिए जिम्मेदार है। यह IMD और अन्य अनुसंधान संस्थानों के साथ समन्वय करता है।
महत्वपूर्ण कार्य: मानसून और जलवायु पैरामीटर्स की निगरानी, अनुसंधान और नीति निर्माण में सहायता।
वेबसाइट: moes.gov.in
3. भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)
विवरण: पुणे में स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology) मानसून परिवर्तनशीलता, जलवायु परिवर्तन और मौसम मॉडलिंग पर शोध करता है। यह MoES के तहत कार्य करता है।
महत्वपूर्ण कार्य: मानसून पूर्वानुमान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना और जलवायु सेवाएं प्रदान करना।
वेबसाइट: www.tropmet.res.in
4. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE)
विवरण: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (Centre for Science and Environment) एक गैर-सरकारी संगठन है जो जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों पर शोध करता है। यह मानसून और तापमान से संबंधित ताप असुरक्षा विश्लेषण जैसे अध्ययन करता है।
महत्वपूर्ण कार्य: जलवायु ताप असुरक्षा विश्लेषण, नीति सुझाव और जागरूकता अभियान।
वेबसाइट: www.cseindia.org
5. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT)
विवरण: NCERT जलवायु और मानसून से संबंधित शैक्षिक सामग्री और अध्ययन संसाधन प्रदान करता है। यह जलवायु परिवर्तन और एल-निनो जैसे मौसम तंत्रों के प्रभावों का वर्णन करता है।
महत्वपूर्ण कार्य: शैक्षिक संसाधनों का विकास और जलवायु जागरूकता को बढ़ावा देना।
वेबसाइट: ncert.nic.in
6. अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (SAC)
विवरण: अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (Space Applications Centre) इसरो के तहत जलवायु परिवर्तन और मानसून की निगरानी के लिए उपग्रह डेटा का उपयोग करता है। यह जलवायु परिवर्तन पैनल की रिपोर्ट के साथ समन्वय करता है।
महत्वपूर्ण कार्य: उपग्रह आधारित मौसम निगरानी और जलवायु परिवर्तन अध्ययन।
वेबसाइट: www.sac.gov.in
निष्कर्ष
ये संस्थाएं भारत में मानसून और जलवायु के अध्ययन, विश्लेषण और पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इनके कार्यों में मौसम डेटा संग्रह, शोध, नीति निर्माण और जागरूकता शामिल हैं, जो कृषि, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक हैं।
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मानसून के डायग्राम और फ्लोचार्ट:
मानसून एक मौसमी हवा प्रणाली है जो दक्षिण एशिया के जलवायु को प्रभावित करती है। नीचे मानसून के वार्षिक चक्र को दर्शाने वाला एक फ्लोचार्ट और दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत का नक्शा प्रस्तुत है।
मानसून चक्र फ्लोचार्ट
पुनः शीतकाल
मानसून चक्र का विवरण
शीतकाल: भूमि पर उच्च दबाव और समुद्र पर निम्न दबाव; उत्तर-पूर्वी हवाएँ (उत्तर-पूर्वी मानसून); शुष्क मौसम।
वसंत: भूमि गर्म होने लगती है, जिससे भूमि पर दबाव कम होता है।
ग्रीष्म: भूमि पर निम्न दबाव, समुद्र पर उच्च दबाव; दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ (दक्षिण-पश्चिमी मानसून); भारी वर्षा वाला गीला मौसम।
शरद: भूमि ठंडी होने लगती है, दबाव बढ़ता है, शीतकाल की ओर वापसी।
दक्षिण-पश्चिम ग्रीष्म मानसून का प्रारंभ नक्शा
यह नक्शा भारत में दक्षिण-पश्चिम ग्रीष्म मानसून की औसत शुरुआत तिथियों और प्रचलित हवा धाराओं को दर्शाता है। मानसून आमतौर पर जून की शुरुआत में दक्षिणी क्षेत्रों में शुरू होता है और जुलाई के अंत तक हिमालय तक पहुँचता है।
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- भारतीय मानसून (Indian Monsoon)
- मानसून की उत्पत्ति (Origin of Monsoon)
- मानसून का तंत्र (Mechanism of Monsoon)
- दक्षिण-पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon)
- उत्तर-पूर्वी मानसून (Northeast Monsoon)
- जलवायु परिवर्तन और मानसून (Climate Change and Monsoon)
- मानसून की अनियमितता (Monsoon Irregularity)
- जेट स्ट्रीम्स और मानसून (Jet Streams and Monsoon)
- ITCZ और मानसून (ITCZ and Monsoon)
- ENSO और मानसून (ENSO and Monsoon)
- भारतीय मानसून का कृषि पर प्रभाव (Impact of Indian Monsoon on Agriculture)
- मानसून के सांस्कृतिक प्रभाव (Cultural Impact of Monsoon)
- UPSC के लिए मानसून नोट्स (Monsoon Notes for UPSC)
- मानसून और भोजपुरी संस्कृति (Monsoon and Bhojpuri Culture)
- मानसून डायग्राम और फ्लोचार्ट (Monsoon Diagram and Flowchart)
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department)
- मानसून की भविष्यवाणी (Monsoon Prediction)
- मानसून और अर्थव्यवस्था (Monsoon and Economy)
- सूखा और बाढ़ (Drought and Flood)
- भारतीय मानसून का इतिहास (History of Indian Monsoon)
- {Answer Writing में जो खाली स्थान दिये गए हैं अभ्यर्थी उस स्थान पर डायग्राम आवश्यकता अनुसार जोड़ सकते हैं |}