BRICS शिखर सम्मेलन 2025: वैश्विक भविष्य को आकार देने की क्षमता
ब्रिक्स का परिचय
ब्रिक्स (BRICS) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। इसका गठन 2006 में हुआ था और यह वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मंच है। 2024 और 2025 में इसके विस्तार के साथ नए सदस्य शामिल हुए हैं। ब्राजील में ब्रिक्स सम्मेलन हो रहा है जिसमें भाग लेने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी रियो डी जेनेरियो पहुंचे हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने उनका स्वागत किया। शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी वैश्विक मुद्दों पर विचार साझा करेंगे। यह पीएम मोदी की ब्राजील की चौथी यात्रा है। इस सम्मेलन में रूस और चीन के राष्ट्रपति भाग नहीं लेंगे। ब्राजील में 6-7 जुलाई को ब्रिक्स सम्मेलन हो रहा है। 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी भी रियो डी जेनेरियो पहुंच गए हैं। यहां पर ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
ब्रिक्स के सदस्य देश और नीमोनिक
ब्रिक्स में निम्नलिखित देश शामिल हैं:
- मूल सदस्य: ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका
- नए सदस्य (2024-2025): मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया
नीमोनिक (Mnemonic) to remember BRICS countries:
"BRICS, Egypt, Ethiopia, Iran, UAE, Indonesia" can be remembered as:
Brazil, Russia, India, China, South Africa, Egypt, Ethiopia, Iran, UAE, Indonesia
Short mnemonic phrase in English: "BRICS Expands with Energy, Unity, Innovation"
17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025
17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 6-7 जुलाई 2025 को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित हो रहा है। इसकी थीम है “वैश्विक दक्षिण में सहयोग को मजबूत करना: समावेशी और सतत शासन के लिए”। इस शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, डिजिटल तकनीक और शांति व सुरक्षा पर चर्चा हो रही है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत करने पर जोर दिया।
- ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा ने मेजबानी की और पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया।
- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने व्यक्तिगत रूप से भाग नहीं लिया। पुतिन वीडियो लिंक के माध्यम से शामिल हुए, जबकि चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग ने किया।
ब्रिक्स का महत्व और प्रभाव
ब्रिक्स विश्व की लगभग 49.5% जनसंख्या और 40% अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। यह पश्चिमी प्रभुत्व वाली वैश्विक संस्थाओं जैसे जी7 के मुकाबले एक गैर-पश्चिमी मंच के रूप में उभरा है।
- आर्थिक सहयोग: ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और कंटिन्जेंसी रिजर्व अरेंजमेंट के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करता है।
- वैश्विक शासन सुधार: ब्रिक्स संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की îleवकालत करता है।
- डी-डॉलराइजेशन: सदस्य देश स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम हो।
- ऊर्जा और सुरक्षा: ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे तेल उत्पादक देशों के शामिल होने से ब्रिक्स वैश्विक तेल आपूर्ति का 42% नियंत्रित करता है।
पीएम मोदी की भूमिका और भारत का योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत करने और वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर एकजुटता का आह्वान किया।
- मोदी ने शांति और सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि ब्रिक्स को एक विभाजनकारी नहीं, बल्कि जनहितकारी समूह के रूप में देखा जाना चाहिए।
- भारत ने एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) के अनुभव को साझा किया और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की वकालत की।
- भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा, जिससे वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका और बढ़ेगी।
चुनौतियां और भविष्य की दिशा
ब्रिक्स का विस्तार और प्रभाव बढ़ रहा है, लेकिन विभिन्न राजनीतिक और आर्थिक प्रणालियों वाले देशों का समावेश इसे जटिल बनाता है। रूस-यूक्रेन और मध्य पूर्व जैसे मुद्दों पर मतभेद चुनौतियां पेश करते हैं।
- आंतरिक मतभेद: रूस और चीन जैसे देश पश्चिम के खिलाफ मजबूत रुख अपनाते हैं, जबकि भारत और ब्राजील संतुलित दृष्टिकोण रखते हैं।
- डी-डॉलराइजेशन की चुनौती: वैकल्पिक मुद्रा प्रणाली की स्थापना एक जटिल कार्य है।
- वैश्विक प्रभाव: ब्रिक्स का लक्ष्य एक निष्पक्ष विश्व व्यवस्था स्थापित करना है, लेकिन इसे पश्चिमी देशों के विरोध का सामना करना पड़ता है।
निष्कर्ष
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 वैश्विक दक्षिण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जो समावेशी और सतत विकास की दिशा में काम कर रहा है। पीएम मोदी की सक्रिय भागीदारी और भारत की बढ़ती भूमिका इसे और मजबूत कर रही है। हालांकि, आंतरिक मतभेद और बाहरी दबाव इसे चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर करते हैं। फिर भी, ब्रिक्स का भविष्य उज्ज्वल है, और यह वैश्विक शासन में बदलाव लाने की क्षमता रखता है।